26 जुलाई को भारत में ‘कारगिल विजय दिवस’ मनाया जाता है।

यह दिन 1999 में भारत की पाकिस्तान पर कारगिल युद्ध में जीत की याद में मनाया जाता है।
इस दिन भारतीय सैनिकों के शौर्य और बलिदान को सम्मान दिया जाता है जिन्होंने कारगिल की ऊँचाइयों पर दुश्मनों को परास्त किया।
कारगिल युद्ध (1999) में परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले वीर:
- कैप्टन विक्रम बत्रा (PVC)
- साहस और शौर्य के प्रतीक, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मनों से मोर्चा लिया।
- उनकी सबसे प्रसिद्ध लाइन “ये दिल मांगे मोर” थी, जो आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजती है।
- परमवीर चक्र मरणोपरांत प्राप्त हुआ।
- लेफ्टिनेंट मनोज पांडे (PVC)
- भारत माता के वीर सपूत जिन्होंने उच्चतम साहस का परिचय देते हुए दुश्मनों के कब्जे वाले बंकरों को ध्वस्त किया।
- वह शहादत को गले लगाने वाले और अपने कर्तव्य के प्रति सच्चे सैनिक थे।
- परमवीर चक्र मरणोपरांत प्राप्त हुआ।
- ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव (PVC)
- सिर्फ 19 साल के थे, जब उन्होंने दुश्मनों के खिलाफ अकेले ही हमलावर किया।
- घायल होने के बावजूद, उन्होंने दुश्मनों को खदेड़ने में अहम भूमिका निभाई।
- परमवीर चक्र मरणोपरांत प्राप्त हुआ।
- राइफलमैन संजय कुमार (PVC)
- साहस और निर्भीकता का प्रतीक रहे, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर दुश्मन के बंकरों को नष्ट किया।
- परमवीर चक्र मरणोपरांत प्राप्त हुआ।
अन्य सैनिकों को भी मिल चुके हैं उच्चतम सम्मान:
हालांकि कई और वीर सैनिकों को युद्ध के दौरान बहादुरी के लिए महावीर चक्र, वीर चक्र और अन्य सम्मान प्राप्त हुए, लेकिन परमवीर चक्र केवल उन सैनिकों को दिया जाता है जिन्होंने अपनी जान की आहुति दी और भारतीय सेना की प्रतिष्ठा को ऊंचा किया।
वीरों की गाथा हमें क्या सिखाता है?
हम अपने देश के लिए कृतज्ञ और गौरवान्वित हैं
देश की रक्षा में कोई समझौता नहीं
वीर जवानों का बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाता